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Friday 29 November 2013

झाबुआ जिले में कुपोषण के कारण 12 हजार 735 बच्चे पिडित ।  जिले का महिला बाल विकास विभाग कुपोषण की रोकथाम के लिये जुटा । झाबुआ से दिलीप...

कुपोषण

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झाबुआ जिले में कुपोषण के कारण 12 हजार 735 बच्चे पिडित । 
जिले का महिला बाल विकास विभाग कुपोषण की रोकथाम के लिये जुटा ।

झाबुआ से दिलीप सिंह वर्मा

     झाबुआ जिले में 0-5 साल तक के कुल 1 लाख 72 हजार 198 बच्चे है जिनमें से 1 लाख 13 हजार 660 बच्चे सामान्य स्तर के है वहीं मध्यम स्तर के 46 हजार दस बच्चे है जबकि अतिकम वजन के 12,7,35 बच्चे  है ।
 जिले में बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिये जिला महिला बाल विकास को जिम्मा सौंपा गया है विभाग के द्वारा इन बच्चों में से अभी तक 11006 बच्चों को चिन्हित कर इनमें से 601 बच्चों को बिमारी से बचान्रे में सफलता प्राप्त की है । जिले की महिला एवं बाल विकास अधिकारी सुश्री निलू भट के अनुसार जिले में चार केंद्र संचालित है जिनमें से एक पोषण पुनर्वास केंद्र जिला चिकित्सालय झाबुआ पर दूसरा केंद्र प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पेटलावद तिसराकेंद्र प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र थांदला तथा चौथा केंद्र प्राथमिक स्वास्थ्य क्रेंद्र जीवन ज्यो्रति हास्पीटल मेघनगर में संचालित है ।
 जिले में कुपोषित बच्चों की तादात इतनी अधिक र्है की उनका ईलाज करने में विभाग को कठिनाईयों का सामना करना पड रहा है अंधविष्वास,अषिक्षा एवं चिकित्सालयों पर पूरी तरह विष्वास नहीं होने से आदिवासी अपने बच्चों को चिकित्सकों के पास नहीं ले जाते हुए उनका झांड फंूक से ईलाज कराने में ज्यादा विष्वास करते है ।
 कुपोषण बिमारी 0-5 साल के बच्चों में पाई जाती है अति गंभीर कुपोषीत बच्चों को 14 दिनों के लिये चिकित्सालय में प्राथमिक उपचार क्रे लिये भर्ती कराना आवष्यक होता है । बिमारी बच्चों का परीक्षण बच्चों की बाजू की माप के द्वारा किया जाता है जिसके तहत 11.5 से.मी.या उससे कम बाजू की माप आने पर बच्चे को कुपोषीत मानकर उसे चिकित्सालय में भर्ती कीया जाकर वहां कम से कम 14 दिनों तक उसकी उचित द्रेखभाल कर ईलाज करना होता र्है तभी वह इस बिमारी से छुटकारा पा सकता है । चिकित्सालय से छुटी के बाद भी 15 दिनों तक चारप्रकार से बच्चे काफालोअप कियाजाता है । जिसक्रे तहत बच्चों के माता पिता को सरकार की ओर से 65 रू.के मान से 14 दिनों की मजदूरी व 200 रूप्ये परिवहन राषि क्रे रूपमें दिये जात्रे है । वहीं प्रति फालोअप के लिये भी 200 रूप्ये परिवहन एवं एक दिन की मजदूरी 65 रू.दी जाती है ं । चिकित्सालय में भर्ती क्रे दौरान बच्चों क्रे भोजन ह्रेतु प्रतिदिन 50 रूपये की राषि 14 दिनों तक दि जाती है तथा अभिभावकों को पोषण प्रषिक्षक द्वारा स्वास्थ्य पोषण षिक्षा दी जाती है ।
 ष्सरकार ने कुपोषण रो्रकने क्रे लिये कारगर कदम व यो्रजना बनाई र्है लेकिन निचले स्तर पर इनक्रे क्रियान्वयन नहीं होन्रे से यह बिमारी जिले म्रें विकराल रूप धरती जा रही र्है और लगातार बच्चों की मोते हो रही र्है पिछले साल एक साथ 42 बच्चों की मोते हुई तो केंद्र सरकार का ध्यान भी आदिवासी जिले की और गया तथा क्रेंद्रीय महिला बाल विकास मंत्री कुष्णा तिरथ ने जिले का र्दौरा कर कुपोषण की जानकारी र्ली और कहां था कि प्रदेष भर में बच्चो को उचित आहार के रूप म्रें अंड्रे दिये जायेगें । कितु प्रदेष में भाजपा सरकार को बच्चों को अंडा द्रेना रास नहींआर्या और आज तक पोषक आहार क्रे रूप में बच्चों को अंडे नहीं दिये जा सक्रे र्है ।
 पिछले दिनों प्रदेष क्रे स्वास्थ्य एवं जिले क्रे प्रभारी मंत्री महेन्द्र हार्डिया ने जिलायो्रजना की र्बैठक में कुपोषण पर गहरी चिंता प्रकट कर इसमें जनप्रतिनिधियो्रं का सहयोग मांगा है ।एक और सरकार जनप्रतिनिधियों से मदद की गुहार कर रही र्है तो दूसरी और  विभाग
जनप्रतिनिधियों की पूछ परख करना जानता ही नहीं है । इसीलिये जिले में बाल कल्याणबोर्ड को्र बने चार माह से अधिक का समय गुजर गया है लेकिन विभाग न्रे आज तक बाल कल्याण बोर्ड क्रे सदस्यों की एक भी बैठक तक आहूत नहीं की है दूसर्री और विभाग बाल विवाह पर रो्रक नहीं लगा पाया र्र्है और आज तक जिले म्रें एक भी प्रकरण बाल विवाह पर दर्ज नहीं किया जा सका है ।
 और अब प्रदेष सरकार ने इतने नाकारा अमले को्र जिले में ब्रेटी बचाओं योजना क्रे तहत 10 करोड रूपयों का नया प्रोजेक्ट थमा दिया र्है ।
    द्रेखना र्है अब जिले मे नई कलेक्टर जयश्री कियावत के आने क्रे बाद विभाग कितनी ईमानदारी से कार्य कर धरातल पर कितना खरा उतरता है ।
 
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